उगना महादेव
दिशापंडौल रेलवे स्टेशन से ३ कि०मी० की दूरी पर भवानी पुर गाँव में अवस्थित हैं | कहा जाता है कि विद्यापति की भक्ति भावना से भगवान् शिव इतने प्रभावित हो गए कि वे नौकर के रूप में विद्यापति के साथ रहने लगे | लोकमानस कथा के अनुसार भगवान् शिव अपना भेष एक मुर्ख गंवार के रूप में बदल कर विद्यापति के पास आये और चाकरी करने लगे | उनके यहाँ काम करते-करते वे विद्यापति के विश्वासी बन गए | विद्यापति कहीं भी जाते वे उगना को अपने साथ ले जाते | उगना भी उनके साथ हाँ में हाँ मिलाता | एक समय की बात है | विद्यापति को राज दरवार जाना था | वे उगना के साथ चल पड़े | जेठ महीना था | सूर्यदेव अपनी पराकाष्ठा पर थे | रास्ते में कहीं पेड़ पौधे भी नहीं थे जिसके छाँव में वे थोड़ा विश्राम कर लेते | इसी समय विद्यापति को प्यास लगी | वे उगना से बोल पड़े – उगना मुझे बहुत जोड़ों से प्यास लगी है , प्यास के मारे मैं अब थोड़ा भी नहीं चल पाउँगा , मुझे कहीं से जल लाकर दो | अपनी झोला से लोटा निकाल कर वे उगना की तरफ बढ़ा दिए | उगना दूर- दूर तक अपना नजर दौड़ाया कहीं भी कुआं , सरोवर या नदी दिखाई नहीं दिया |
उगना एक झाड़ी के पीछे जाकर अपनी जटा से एक लोटा गंगाजल निकालकर विद्यापति को देते हुए कहा कि आस पास में कहीं भी जल नहीं मिला | इसे मैं बहुत दूर से लाया हूँ | विद्यापति प्यास से व्याकुल थे | उन्होंने सारा जल एक ही सांस में पी गए | जल पीने के बाद वे उगना से बोल पड़े कि जल का स्वाद तो ऐसा नहीं होता है यह जल नहीं गंगाजल है , गंगाजल तो सिर्फ शिव के पास ही होता है | इस बात से उगना झेंप गए कि अब तो चोरी पकरी गयी | अंत में उगना विद्यापति को अपना शिव का रूप दिखाए और बोले कि इस बात को गुप्त ही रखना | विद्यापति की पत्नी शुशीला उगना को कोई काम करने के लिए बोली | उगना को काम करने में कुछ देर हो गया |जिस कारण सुशीला उगना को झाड़ू से मारने लगी | उगना झाड़ू की मार खा ही रहे थे कि विद्यापति की नजर उन पर पड़ी और अपनी पत्नी सुशीला को डांटने लगे , लेकिन सुशीला झारू से उगना को मारती ही रही , इस पर भावावेश में आकर विद्यापति सुशीला से बोले कि ओ ना समझ नारी , जिसे तुम मार रही हो यह कोई साधारण आदमी नहीं , ये तो साक्षात शिव हैं | यह बात सुन कर उगना वहीँ पर अंतर्ध्यान हो गए | कहा जाता है कि जिस स्थान पर उगना ने अपना शिव का रूप विद्यापति को दिखाया था उसी जगह पर आज उगना महादेव का विशाल मन्दिर बना हुआ है |
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कैसे पहुंचें:
बाय एयर
यहाँ से सबसे नजदीकी नागरिक हवाई अड्डा 21.5 कि॰मी॰ दूर जिला दरभंगा में स्थित है। दरभंगा हवाई क्षेत्र पटना (IATA कोड- DBR) से अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने उपलब्ध है। और दूसरा यहाँ से नागरिक हवाई अड्डा 199 कि॰मी॰ दूर राजधानी पटना में स्थित है। लोकनायक जयप्रकाश हवाई क्षेत्र पटना (IATA कोड- PAT) से अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने उपलब्ध है।
ट्रेन द्वारा
पंडौल रेलवे स्टेशन से ३ कि०मी० की दूरी पर में अवस्थित हैं |
सड़क के द्वारा
यह मधुबनी शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर है।